आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
यूनान, मिस्र, रोमा सब मिट गए जहां से,
बाकी मगर अभी तक नामों निशां हमारा,कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़मां हमारा...
-अल्लामा इकबाल
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