Monday, June 5, 2023

ना साथी की तलाश थी

ना साथी की तलाश थी,

ना किसी के सहारे की दरकार थी, 
सफर लंबा था, हमसफर की ख्वाइश न थी, 
मंजिल का पता नहीं और प्यार की भी तलब न थी, 
कुछ बिखरे रिश्तो को समेटना बाकी था, 
कुछ अपनों को संभालना बाकी था , 
जिंदगी की राह कैसी भी थी, 
वह चल रही थी अकेली, 
बस उसके लिए यही काफी था।

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