आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
बारिश में तुम्हारे संग नहाना है, सपना ये मेरा कितना सुहाना है,बारिश के कतरे जो तेरे होंठों पे गिरे, उन कतरों को अपने होंठों से उठाना है.
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