आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
बहता छोड़ दिया है
खुद को तेरे इश्क़ के समंदर में
अब तेरी मर्ज़ी
हाथ थाम ले या डूब जाने दे।
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