Monday, September 12, 2022

एक मुकम्मल तेरा चेहरा बनता है

धूप में जलते हैं तब साया बनता है,

बड़े जतन से कोई अपना बनता है,


सारे बिखरे ख़्वाब इकट्ठा करने पर,

एक मुकम्मल तेरा चेहरा बनता है!

      

        ~अक्स समस्तीपुरी 

Friday, September 9, 2022

मीरा से पूछोगे तो अमृत ही कहेगी

बेर कैसे थे, ये शबरी से पूछो,

श्रीराम से पूछोगे तो मीठे ही कहेंगे।


ज़हर का स्वाद शिव से पूछो,

मीरा से पूछोगे तो अमृत ही कहेगी।


नीरज