Stayin' Alive
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Saturday, June 6, 2020
इक 'बंजारा दिल' ये मेरा..
इक 'बंजारा दिल' ये मेरा..
ढूंढे किसे इधर-उधर
न कोई ठोर न ठिकाना
न ही पता शहर
न जाने कब और कैसे
होगी इसकी सहर
मुखौटे ओढ़ कई
लोग आते हैं जाते हैं
कभी रुक जाते हैं
तो कभी आगे को बढ़ जाते हैं
मुंह तकते रहे जाता है
ये 'बंजारा
लोग आजमाकर इनसे
आगे को बढ़ जाते हैं..
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