Monday, April 13, 2020

जुदा, जुदाई शायरी

तमाम जिस्म की परतें जुदा जुदा करके
जिए चले गए क़िस्तों में लोग मर मर के
- फ़िज़ा कौसरी


तुझ से जुदा हुए तो ये हो जाएँगे जुदा
बाक़ी कहाँ रहेंगे ये साए तिरे बग़ैर
- अदील ज़ैदी

न कह तू शैख़ मुझे ज़ोहद सीख मस्ती छोड़
तिरी पसंद जुदा है मिरी पसंद जुदा
- इंशा अल्लाह ख़ान


बीमार दिल जुदा है इधर मैं उधर जुदा
उस का करूँ इलाज कि अपनी दवा करूँ
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

न बहलावा न समझौता जुदाई सी जुदाई है
'अदा' सोचो तो ख़ुशबू का सफ़र आसाँ नहीं होता
- अदा जाफ़री


पता नहीं कि जुदा हो के कैसे ज़िंदा हैं
हमारा उस का तअ'ल्लुक़ तो जिस्म-ओ-जान का था
- मंज़ूर हाशमी

एक मंज़िल है गो मिरी उन की
रस्ता लेकिन जुदा जुदा होगा
- हंस राज सचदेव 'हज़ीं'


दिल का सीने का और जिगर का हाल
है ये वाजिब जुदा जुदा कहिए
- सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

कभी न लाना मसाइल घरों के दफ़्तर में
ये दोनों पहलू हमेशा जुदा जुदा रखना
- इफ़्तिख़ार नसीम

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