Saturday, April 18, 2020

आहटें सुन रहा हूं यादों की

आहटें सुन रहा हूं यादों की
आज भी अपने इंतिज़ार में गुम
- रसा चुग़ताई

मैं रोना चाहता हूं ख़ूब रोना चाहता हूं मैं
फिर उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूं मैं
- फ़रहत एहसास

बहुत अज़ीज़ थी ये ज़िंदगी मगर हम लोग
कभी कभी तो किसी आरज़ू में मर भी गए
- अब्बास रिज़वी

इल्म की इब्तिदा है हंगामा
इल्म की इंतिहा है ख़ामोशी
- फ़िरदौस गयावी

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