Friday, April 24, 2020

मैं उसकी बात बताती हूं,जिससे प्यार नहीं जताती हूं।

मैं उसकी बात बताती हूं,
जिससे प्यार नहीं जताती हूं।
हां चाहती हूं,
उसे चाहती हूं,
फिर क्यों कुछ नहीं कह पाती हूं?
उस रोज जिंदगी में कोई आया था,
जो मुझे देख मुस्काया था।
जब भी कभी मुझे चोट लगी,
दर्द में उनको पाया था।
वह आए तो लगा पूरी कोई अधूरी सी व्याख्यात हो गई।
मैं जब भी तकलीफ में थी तो मेरे लिए
बैठे उन्हें ना जाने कब दिन से रात हो गई।
वह मेरी सारी शैतानियों को हंस कर देखा करते थे,
और सारी नादानियों को बस अनदेखा करते थे।
छुपा कर अपने सारे गम वह हमसे मिला करते थे।
पूरी दुनिया में केवल मुझसे मोहब्बत करते थे।
ना पैसे का लोभ ना माया की चाह वह रखते थे।
आश्चर्य, सिर्फ मुझे खोने से डरते थे।
अब आप सोच रहे होंगे कि वह शख्सियत कौन है,
जो इस जमाने में भी ऐसे हैं,
इंसान जहां रिश्तो को नहीं समझ पाता,
वह मोहब्बत समझने बैठे हैं।
वह ना कोई हसीना है,
ना दिलबर,
ना कोई मोहब्बतगार,
ना ही दिलदार।
अरे ऐसा प्यार तो सिर्फ वही कर सकते हैं,
जिन्होंने जन्म दिया हो यार।
जी हां, वह मेरे मां और पापा हैं जिनकी मैं बात कर रही हूं,
बेशक, अपनी यह कविता उनको समर्पित कर रही हूं।
यह हक है उनका, यह फर्ज है मेरा,
इस मोहब्बत को पूरी शिद्दत से निभाऊ,
असली लव ऐट फर्स्ट साइट है,
ऐसे कैसे तोड़ कर आगे बढ़ जाऊं।
जुदा हमें कोई नहीं कर सकता,
कहते हैं पहला प्यार कभी नहीं मरता।
हां यह सच है,
समझ अब आया है।
मां-पापा, "आई लव यू"
यह इज़हार-ए-मोहब्बत,
आज 19 साल बाद ही सही,
मगर जुबान पर आया है,
पहली बार आया है,
आखिरकार आया है।

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