Stayin' Alive
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Saturday, February 15, 2020
शाम से आँख में नमी सी हैआज फिर आप की कमी सी है
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
~ गुलज़ार
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
दफ़्न कर दो हमें कि साँस मिले
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
वक़्त रहता नहीं कहीं थमकर
इस की आदत भी आदमी सी है
कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी
एक तस्लीम लाज़मी सी है!
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