Stayin' Alive
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Sunday, January 5, 2020
बेखुदी ले गयी कहाँ हम को
बेखुदी ले गयी कहाँ हम को
देर से इंतज़ार है अपना
रोते फिरते हैं सारी -सारी रात
अब यही रोज़गार है अपना
दे के दिल हम जो हो गए मजबूर
इसमें क्या इख्तियार है अपना
जिसको तुम आसमान कहते हो “मीर“
वो दिलों का गुबार है अपना
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