Stayin' Alive
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Saturday, November 23, 2019
दो रोज़ की महफ़िल है इक उम्र की तन्हाई
इस आलम-ए-वीराँ में क्या अंजुमन-आराई
दो रोज़ की महफ़िल है इक उम्र की तन्हाई
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment