आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
याद तेरी आयी है,ये दिल उदास है मेरा तू हमसाया थी,कितना सहारा था तेरा!
बात न मुलाक़ात थी,मगर एक गुमाँ था कि मेरी चाहत के ,हदफ़ पे है दिल तेरा!
हदफ़--लक्ष्य #हम_साया--पड़ोसी
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