आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
चंद मासूम से पत्तो का लहू है फ़ाकिर .... जिसको मेहबूब के हाथों की हिना कहते हैं।।।।।।
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