आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं जिस को देखा ही नहीं उस को ख़ुदा कहते हैं!
~सुदर्शन फ़ाख़िर
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