आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
हमदर्द की तलाश में हरदम, हमको सिर्फ दर्द मिला है... कोई बढ़ा न पाया हमारे साथ कदम, क्योंकि सब को हमारी शख़्सियत पर, अच्छाईयों का गर्द मिला है...!
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