आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा,
जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Monday, June 3, 2019
जुल्फों की घनी छाँव
भीगी हुई आँखों का ये मंजर ना मिलेगा,घर छोड़कर मत जाओ कहीं घर ना मिलेगा,फिर याद बहुत आएगी जुल्फों की घनी छांव,जब धूप में शाया कोई सर पर ना मिलेगा,आँसू को कभी ओस का कतरा ना समझना ऐसा तुम्हें चाहत का समंदर ना मिलेगा!
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