आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
जिनसे मोहब्बत हो, उनसे लड़ना भी तो होता है.. नोकझोंक और क्या, प्यार का बढ़ना ही तो होता है।
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