आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
दुआ, वफ़ा, ख्वाब, भरोसा, मान, मोहब्बत! कितने नामों में सिमटे हो सिर्फ़ एक तुम!
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