आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
वो उम्र भर कहते रहे तुम्हारे सीने में दिल ही नहीं. दिल का दौरा क्या पड़ा, ये दाग भी धुल गया!
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