आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
शायरों से ताल्लुक रखो तबियत ठीक रहेगी, ये वो हकीम है जो अल्फ़ाज़ों से इलाज़ करते है!
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