आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
कुछ किस्से दिल में, कुछ कागजों पर याद रहे। बताओ कैसे भुलॆं उसे, जो हर साँस मे याद रहे ।।
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