आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा,
जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Saturday, February 23, 2019
सिकन्दर हूँ मैं
नज़र में शोखियां, लब पर मोहब्बत का तराना है,
मेरी उम्मीद की जद में अभी, सारा ज़माना है!
कई जीते हैं दिल के देश, पर मालूम है मुझको!
सिकन्दर हूं मुझे एक रोज, खाली हाथ जाना है!
No comments:
Post a Comment