आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
इस बार क्या करोगे, फिर छोड़ दोगे, पिछली बार कहा था अब के जोड़ दोगे! अब तक सहमा हुआ है दिल बेचारा, दिल है ना कोई नायाब, फिर से तोड़ दोगे!
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