आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
परिन्दो को मिलेगी मन्जिल यकीनन, ये परवाज़ करते उनके पन्ख बोलते हैं। वो लोग रहते हैं खामोश अक्सर , जमाने में जिनके हुनर बोलते हैं।।
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