आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मैखाने भी क्या याद रखेंगे, आज छलक जाने दो पैमाने! कि आया था कोई दिवाना, अपनी मोहब्बत को भुलाने!
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