आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
फितूर होता है हर उम्र में जुदा जुदा, खिलौने, माशूका, रुतबा और फिर खुदा।
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