आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
उठो भी कि अब दिन हैं बदलने वाले, मंज़िल पै पहुँच जायेंगे चलने वाले। दीपक के लिए हठ ऐ पतंगे! मत कर, बे-आग भी जल जाते हैं जलने वाले।।
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