आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
आसमान पे चाँद जल रहा होगा, कसमकस में दिल मचल रहा होगा, उफ़ ये मेरे पैरों में चुभन कैसी है, जरूर वो काँटों पर चल रहा होगा।
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