आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
दो बूँदे क्या बरसी, चार बादल क्या छा गए, किसी को जाम, तो किसी को कुछ नाम याद आ गए.!