Sunday, August 7, 2016

गुज़रा हुआ कल


*"काश फिर मिलने की वजह मिल जाए!*
*"साथ जितना भी बिताया वो पल मिल जाए!*
*"चलो अपनी अपनी आँखें बंद कर लें!*
*"क्या पता ख़्वाबों में गुज़रा हुआ कल मिल जाए!*


Saturday, January 23, 2016

वो था सुभाष....


वो था सुभाष, वो था सुभाष

वो भी तो खुश रह सकता था

महलों और चौबारों में

उसको लेकिन क्या लेना था

तख्तो-ताज-मीनारों से?



वो था सुभाष, वो था सुभाष

अपनी मां बंधन में थी जब

कैसे वो सुख से रह पाता

रणदेवी के चरणों में फिर

क्यों ना जाकर शीश चढ़ाता?



अपना सुभाष, अपना सुभाष

डाल बदन पर मोटी खाकी

क्यों न दुश्मन से भिड़ जाता

'जय-हिन्द' का नारा देकर

क्यों न अजर-अमर हो जाता?



नेता सुभाष, नेता सुभाष

जीवन अपना दांव लगाकर

दुश्मन सारे खूब छकाकर

कहां गया वो, कहां गया वो

जीवन-संगी सब बिसराकर?



तेरा सुभाष, मेरा सुभाष

मैं तुमको आजादी दूंगा

लेकिन उसका मोल भी लूंगा

खूं बदले आजादी दूंगा

बोलो सब तैयार हो क्या?



गरजा सुभाष, बरसा सुभाष

वो था सुभाष, अपना सुभाष

नेता सुभाष, बाबू सुभाष

तेरा सुभाष, मेरा सुभाष

अपना सुभाष, अपना सुभाष।