आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा,
जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Saturday, August 3, 2013
रोई
वो अपने मेहंदी वाले हाथ मुझे दिखा कर रोई, अब मैं हुँ किसी और की, ये मुझे बता कर रोई, पहले कहती थी कि नहीं जी सकती तेरे बिन, आज फिर से वो बात दोहरा कर रोई... कैसे कर लुँ उसकी महोब्बत पे शक यारो...!! वो भरी महफिल में मुझे गले लगा कर रोई... ...
No comments:
Post a Comment