Friday, September 28, 2012
Thursday, September 27, 2012
Deewangi
एक शीशे ने पत्थर से मोहब्बत कर ली,
टकरा के उसने अपनी ज़िंदगी चकना चूर कर ली.
शीशे की दीवानगी तो देखो,
उसने अपने हज़ार टुकड़ो मे भी उसकी तस्वीर भर ली.
Wednesday, September 26, 2012
Pyar ho jata hai..
Kyun kisi se itna pyar ho jata hai,
ek din jeena bhi dushwaar ho jata hai.
Lagne lagte hain apne bhi paraye,
aur ek ajnabi par itna aitbaar ho jata hai..
ek din jeena bhi dushwaar ho jata hai.
Lagne lagte hain apne bhi paraye,
aur ek ajnabi par itna aitbaar ho jata hai..
Friday, September 21, 2012
Betaab
बेताब से रहते हे तेरी याद मे अक्सर,
रात भर नहीं सोते तेरी याद मे अक्सर.
जिस्म में दर्द का बहाना सा बना के,
हम टूट क रोते हैं तेरी याद मे अक्सर..
रात भर नहीं सोते तेरी याद मे अक्सर.
जिस्म में दर्द का बहाना सा बना के,
हम टूट क रोते हैं तेरी याद मे अक्सर..
Thursday, September 20, 2012
Raaj
एक टूटे हुए दिल की आवाज़ मुझे कहिए,
सुर जिसमें है सब गम के, वो साज़ मुझे कहिए.
मैं कौन हूँ और क्या हूँ, किसके लिए ज़िंदा हूँ;
मैं खुद भी नहीं समझा, वो राज़ मुझे कहिए..
Tuesday, September 18, 2012
Khata
खता हो गयी है तो सज़ा सुना दो,
दिल मे इतना दर्द क्यो है वजह बता दो.
देर हो गयी है याद करने मे ज़रूर लेकिन,
तुमको भुला देंगे ये ख्याल दिल से मिटा दो..
Sunday, September 16, 2012
Ishq
लोग इश्क़ करते है बड़े शोर के साथ,
हमने भी किया था बड़े ज़ोर के साथ!
मगर अब करेंगे ज़रा गौर के साथ,
क्योकि कल देखा था उसे किसी और के साथ!!
hum
दिल से रोए मगर होंठों से मुस्कुरा बैठे,
यूँही हम किसी से वफ़ा निभा बैठे।
वो हमें एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का,
और हम उनके लिए अपनी ज़िंदगी गवाँ बैठे।।
यूँही हम किसी से वफ़ा निभा बैठे।
वो हमें एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का,
और हम उनके लिए अपनी ज़िंदगी गवाँ बैठे।।
Monday, September 10, 2012
umra bhar
Aapki dosti ki ek nazar chahiye,
Dil hai beghar usey ek ghar chahiye,
bas yuhin saath chalte raho e dost,
Yeh dosti humein umar bhar chahiye…
Saturday, September 8, 2012
teri yaad mein
तेरी याद में मैं जरा अपनी आँखे "भिंगो" लूँ ,
'उदास' रात की खामोश "तन्हाई" में सो लूँ ।
अकेले ग़मों का बोझ अब है "संभलता" नहीं ,
अगर तू मिल जाए तो तुझसे लिपट के रो लूँ ।।
Wednesday, September 5, 2012
raahat
अपने जज्बात को नाहक ही सजा देती हूँ,
शाम होते ही चिरागों को बुझा देती हूँ।
जब मिलता ना राहत का बहाना कोई,
लिखकर हथेली पे नाम तेरा मिटा देती हूँ।।
शाम होते ही चिरागों को बुझा देती हूँ।
जब मिलता ना राहत का बहाना कोई,
लिखकर हथेली पे नाम तेरा मिटा देती हूँ।।
Monday, September 3, 2012
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