Monday, July 30, 2012

aapki or

रिश्तों की डोरी कमजोर होती है,
आँखों की बातें, दिल की चोर होती है।
किसी ने जब भी पुछा दोस्ती का मतलब,
हमारी ऊँगली आपकी ओर होती है।

adhura

Chand adhura hai sitaro ke bina,
Gulshan adhura hai baharon ke bina..
Samundar adhura hai kinaro ke bina,
Jeena adhura hai tum jaise yaaro ke bina....

Friday, July 27, 2012

Ishq

Ishq Wahi Hai Jo Ho Ektarfa,
Izhaar e Ishq To Khwahish Ban Jaati Hai,
Hai Agar Ishq To Aankho Mein Dekho ,
Zuban Kholne Se Ye Numaish Ban Jaati Hai..

gahri

गहरी थी रात मगर हम खोये नहीं,
दर्द बहुत था दिल में, मगर हम रोये नहीं।
कोई नहीं हमारा अपना, जो पूछता हमसे,
जाग रहे हो किसी के लिए,
या किसी के लिए सोये नहीं।

dosti

सोचा था न करेंगे किसी से दोस्ती,
न करेंगे किसी से वादा!
पर क्या करे दोस्त मिला इतना प्यारा,

कि करना पड़ा दोस्ती का वादा!

Thursday, July 26, 2012

ईशारा

तेरी आँखों से काश एक ईशारा तो होता,
थोड़ा ही सही जीने का सहारा तो होता।
तोड़ देते दुनिया की सारी हदों को हम,
तूने एक बार मोहब्बत से पुकारा तो होता॥

Wednesday, July 25, 2012

तुम्हें

तेरे नाम को होठों पे सजाया है मैंने,
तेरे रूह को दिल में बसाया है मैंने।
दुनिया तुम्हें ढूंढते ढूंढते हो जाएगी पागल,
दिल के ऐसे कोने में छुपाया है मैंने॥

Saturday, July 14, 2012

जख्म

इस   चाँद   से   चेहरे   पे   गम   अच्छे   नहीं   लगते।
कह  दो  हमसे  चले जाये,  जो हम अच्छे नहीं   लगते॥
अगर   हमें   जख्म   देना,   तो उम्र   भर   का  देना।
जो जख्म चंद दिनों में भर जाये वो जख्म अच्छे नहीं लगते॥

Friday, July 6, 2012

सरफ़रोशी की तमन्ना

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए कातिल में है


वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमान,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है


करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है


रहबरे राहे मुहब्बत, रह न जाना राह में
लज्जते-सेहरा न वर्दी दूरिए-मंजिल में है


अब न अगले वलवले हैं और न अरमानों की भीड़
एक मिट जाने की हसरत अब दिले-बिस्मिल में है ।


ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-कातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,
और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर,
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


हाथ जिन में हो जुनून कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से,
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न,
जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम.
जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


यूँ खड़ा मकतल में कातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें कोई रोको ना आज
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून
तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए कातिल में है


-
रामप्रसाद बिस्मिल