Saturday, November 5, 2011

माजरा

दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है
-ग़ालिब


O innocent heart, what happened to you
What is the cure for this affliction
My affections are met with coldness
O God, what is happening?

ख़ुशी

ख़ुशी तो फिर ख़ुशी है रंज को समझा ख़ुशी हमने
तेरी ख़ातिर बदल डाला निज़ामे-ज़िन्दगी हमने

याराना

गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गये
लेकिन इतना तो हुआ कुछ लोग पहचाने गये
-ख़ातिर ग़ज़नवी

दीपावली

HAPPY DIPAVALI

केवल छज्जों और चौबारों पर ही नहीं,
आस्था का एक दीप हमारे रिश्तों की मुंडेर पर भी

रिश्ता

दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजिये रिश्ता
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिये
-निदा फ़ाज़ली

जरुरत

दिल से मिलने की तमन्ना ही नहीं जब दिल में
हाथ से हाथ मिलाने की ज़रूरत क्या है

शहर

कोई हाथ भी न मिलायेगा जो गले मिलोगे तपाक से
यह नये मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो

दोस्ती

मुहब्ब्तों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला

राह

अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आयेगा कोई जायेगा
तुम्हें जिसने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो

दुआ का असर

वो बड़ा रहीमो-करीम है मुझे ये सिफ़त भी अता करे
तुम्हें भूलनी की दुआ करूँ तो मेरी दुआ में असर न हो

Shayari

मैं शकील दिल का हूँ तर्जुमां के मुहब्बतों का हूँ राज़दां.
मुझे फ़ख़्र है मेरी शायरी मेरी ज़िन्दगी से जुदा नहीं..
-शकील बदायुनी


I, Shakil, translate what hearts feel
And am privy to the secrets of lovers
I am proud that my poetry is not
divorced from my life's reality

Silsila

आरज़ुओं का सिलसिला कब ख़त्म होगा ऐ दोस्त,
खिल गये गुल तो कलियाँ और पैदा हो गयीं..