Stayin' Alive
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Monday, March 23, 2009
तेरे बगैर
बेनूर हो चली है बहुत शहर की हवा,
तेज रास्तों पे कहीं खो न जाएँ हम,
उसके बगैर आज जी बहुत उदास है,
चलो कहीं से उसे ढूँढ लायें हम…
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