आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा,
जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Monday, March 16, 2009
एहसास
तेरे होने के अहसास से ज़िन्दगी मुस्कुराती है, तेरी पनाहों के साये में चाँदनी भी गुनगुनाती है. ओढ़के सितारों का आँचल अंधेरे सँवरने लगे दोस्त, तेरी मासूम यादें मेरे हर लम्हे को महकाती हैं!!
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