आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
बंजारे हैं रिश्तों की तिजारत नहीं करते
हम लोग दिखावे की मोहब्बत नहीं करतेमिलना है तो आ जीत ले मैदान में हम कोहम अपने क़बीले से बग़ावत नहीं करतेतूफ़ान से लड़ने का सलीक़ा है ज़रूरीहम डूबने वालों की हिमायत नहीं करते~नसीम निकहत
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