Friday, February 14, 2025

अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना

 1. अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना


सिर्फ एहसान जताने के लिए मत आना


2. बंध गई थी दिल में कुछ उम्मीद सी


ख़ैर तुम ने जो किया अच्छा किया


3. कभी ये लगता है अब ख़त्म हो गया सब कुछ


कभी ये लगता है अब तक तो कुछ हुआ भी नहीं


4. दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं


ज़ख़्म कैसे भी हों कुछ रोज़ में भर जाते हैं


5. हर खुशी में कोई कमी-सी है


हंसती आंखों में भी नमी-सी है


6. तू तो मत कह हमें बुरा दुनिया


तू ने ढाला है और ढले हैं हम


7. छोड़ कर जिस को गए थे आप कोई और था


अब मैं कोई और हूं वापस तो आ कर देखिए


8. मैं पा सका न कभी इस ख़लिश से छुटकारा


वो मुझ से जीत भी सकता था जाने क्यूं हारा


9. दर्द अपनाता है पराए कौन


कौन सुनता है और सुनाए कौन


10. उस की आंखों में भी काजल फैल रहा है


मैं भी मुड़ के जाते जाते देख रहा हूं


11. कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया है


मगर जो खो गई वो चीज़ क्या थी


12. जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता


मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता


13. मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है


किसी का भी हो सर क़दमों में सर अच्छा नहीं लगता


14. तब हम दोनों वक़्त चुरा कर लाते थे


अब मिलते हैं जब भी फ़ुर्सत होती है


15. डर हम को भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से


लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा


16. ऊँची इमारतों से मकाँ मेरा घिर गया


कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए


17. तुम ये कहते हो कि मैं ग़ैर हूँ फिर भी शायद


निकल आए कोई पहचान ज़रा देख तो लो


18. इन चराग़ों में तेल ही कम था


क्यूँ गिला फिर हमें हवा से रहे


19. ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना


बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता


20. धुआँ जो कुछ घरों से उठ रहा है


न पूरे शहर पर छाए तो कहना


21. हम तो बचपन में भी अकेले थे


सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे


-जावेद अख्तर











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