आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
कितना अच्छा लगता है तेरा नाम, मेरे नाम के साथ,
जैसे खूबसूरत सुबह जुड़ी हो, हसीन शाम के साथ.
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