आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
तुझसे लगी हुई मेरी एक आस हैतेरे गुमशुदा प्यार की तलाश हैजुदा होते ही थोड़ा भी सुकून ना मिला
जबकि तेरी यादें मेरे आस पास हैं
No comments:
Post a Comment