आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
करीब से देख , मेरी दास्तां भी अजीब है बहुत।दर्द जो करीब था मेरे,आज भी करीब है बहुत।।वक्त बदला तो , ना जाने क्या-क्या बदल गया।जो बा-नसीब थे कल,आज बदनसीब है बहुत।।
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