Wednesday, July 31, 2024

बच्चों को छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो

बच्चों को  छोटे  हाथों  को  चाँद  सितारे  छूने  दो,

चार किताबों  पढ़  कर  ये  भी  हम  जैसे  हो  जायेंगे.


उड़ने  दो  परिंदो  को  अभी  शोख  हवा  में ,

फिर  लौट  के  बचपन  के  ज़माने  नहीं आते। 


मेरे रोने का जिस में किस्सा है,

उम्र का बेहतरीन हिस्सा है। 


मेरा बचपन भी साथ ले आया,

गांव से जब भी आ गया कोई। 


फ़रिश्ते आकर उनके जिस्म पर खुशबू लगाते हैं,

वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते है। 


दुआएं याद करा दी गई थी बचपन में,

सो ज़ख्म खाते रहे और दुआ दिए गए हम। 


किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती है,

टिफिन रखती ही मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है। 


हर शहर से है प्यारा वो शहर मुझ को,

जहाँ से देखा था पहली बार आसमान मैंने। 


हम तो बचपन में भी अकेले थे,

सिर्फ दिल की गली में खेले थे। 


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