आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
किसी समंदर पार उतरी हुई शाम की तरह,
तुम खूबसूरत हो अपने नाम की तरह
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