आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मिली जो फुर्सत तो आएंगे और चाय पिएंगे जरूर,
सुना है चाय बनाते हो तो गली महक उठती है।
शिकायत और दुआ में जब एक ही शख्स हो,
समझ लो इश्क़ करने की अदा आ गयी तुम्हें
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