आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मन की पावनता धागों संग
भावों के एक एक रंगों संगजब गूंथी जाती है मन सेतब बंधता है रक्षा बंधन।बहनों का हृदय विकल होतासीमा पर भाई जिनका होतारक्षाबंधन उनका उस दिन होगाभ्राता से जब भी मिलन होता।
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