आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा,
जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Monday, June 12, 2023
वो गुज़रा ज़माना
मन्द मन्द तेरा
यूं छुप कर मुस्कुराना अल्फाजों का लबों तक यूं आकर लौट जाना झलकता है प्यार आंखों से पर नज़रों का यूं चुराना कुछ ना कहते हुए भी तेरा सब कुछ कह जाना याद है मुझे अब भी तेरा मेरा वो फसाना हमारी मोहब्बत का "वो गुज़रा ज़माना"
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