आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
कुछ भी याद नही रहामोहब्बत में भीगने कामियाद नही रहाखुशबू उड गईतितली उड़ जाने के बादगुलशन का भौंरातब से आजाद नही रहा
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