Thursday, June 8, 2023

मैं नहीं जा पाऊँगा यारो सू-ए-गुलज़ार अभी

​मैं नहीं जा पाऊँगा यारो सू-ए-गुलज़ार अभी,

देखनी है आब-जू-ए-ज़ीस्त की रफ़्तार अभी 

कर चुका हूँ पार ये दरिया न जाने कितनी बार 
पार ये दरिया करूँगा और कितनी बार अभी 

घूम फिर कर दश्त-ओ-सहरा फिर वहीं ले आए पाँव 
दिल नहीं है शायद इस नज़्ज़ारे से बे-ज़ार अभी 

काविश-ए-पैहम अभी ये सिलसिला रुकने न पाए 
जान अभी आँखों में है और पाँव में रफ़्तार अभी 

ऐ मिरे अरमान-ए-दिल बस इक ज़रा कुछ और सब्र 
रात अभी कटने को है मिलने को भी है यार अभी 

जज़्बा-ए-दिल देखना भटका न देना राह से 
मुंतज़िर होगा मिरा भी ख़ुद मिरा दिल-दार अभी 

होंगी तो इस रह-गुज़र में भी कमीं-गाहें हज़ार 
फिर भी ये बार-ए-सफ़र क्यूँ हो मुझे दुश्वार अभी

Habib Tanvir


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