आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
जब से इस दिल में से तेरा रंग उतरा है
तब से इस दिल में कोई और रंग नही चढ़ा है
No comments:
Post a Comment